तूर जी का झालरा (बावड़ी), जोधपुर-1 Toorji's Stepwell Jodhpur


                                     
तूर जी का झालरा (बावड़ी), जोधपुर

नमस्कार आपका स्वागत है यात्रा मेरे साथ में. बीकानेर यात्रा के कुछ दिनों के बाद हमे मोका मिला जोधपुर की यात्रा करने का जोधपुर शहर राजस्थान का दुसरा बड़ा शहर है इसे ब्लू सिटी और सूर्य नगरी भी कहा जाता है जोधपुर शहर मारवाड़ की राजधानी रहा है राव जोधा ने 1459 में इस शहर की स्थापना की थी राव जोधा ने आसपास के क्षेत्र को भी जीतने में सफलता हासिल की और यह पूरा क्षेत्र मारवाड़ कहलाया. जोधपुर शहर में अनेक पर्यटक स्थल है जैसे:- मेहरानगढ़ किला, जसवंत थडा, उम्मेद भवन पैलेस, घंटा घर, मंडोर टेम्पल आदि | जोधपुर शहर अपनी संस्कृति के साथ साथ खाने के मामले में भी बहुत प्रसिद्ध है इस का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है की पुरे भारत में जोधपुर स्वीट होम नाम के रेस्टोरेंट मिल जायेंगे. जोधपुर शहर में मखनिया लस्सी. मिर्ची बड़ा. केर सांगरी की सब्जी, बेसन गट्टा, मावा कचोरी आदि का लुत्फ़ लिया जा सकता है.  जोधपुर शहर राजस्थान के मुख्य शहरो से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है भारत के विभिन्न शहरो से ट्रेन और फ्लाइट भी जोधपुर को अन्य भागो से जोडती है जोधपुर अपनी संस्क्रति और रंग बिरंगी छटा के कारण विदेशी सेलानियो को भी आकर्षित करता है. जोधपुर की खो जाने वाली गलियों में घुमने का एक अलग ही आनंद मिलता है में जोधपुर में शाम के समय पंहुचा था जोधपुर में रुकने का इंतजाम बीकानेर की तरह booking.com से पहले ही कर लिया था 4-5 दिन पहले ही मेने हॉस्टल बुक कर लिया था बहुत ही कम रेट में मुझे हॉस्टल hathai में ac रूम में एक बेड मिला. बस स्टैंड से ही मेने rapido पर बाइक बुक कर के हॉस्टल पंहुचा था आते ही मेरी धीरज जी से मुलाकात हुयी जो बहुत ही अच्छे हॉस्टल संचालक है मेरे विचार से हॉस्टल hathai बहुत ही अच्छा विकल्प है इस हॉस्टल से जोधपुर के मुख्य पर्यटक स्थल पैदल ही घुम सकते है रात के समय हॉस्टल की छत से मेहरानगढ़ का बहुत ही सुन्दर नजारा मिलता है
                                     

 यहाँ से सन राइज देखने के लिए भी जा सकते है सिर्फ 15 मिनट की पैदल दुरी है हॉस्टल के संचालक ने मुझे बता दिया था की आप पैदल ही पहले तूर जी का झालरा, फिर मेहरानगढ़ और जसवंत थडा के लिए जा सकते है गूगल मेप की सहायता से आप आसानी से पहुच जाते है  


  
तुर जी का झालरा जोधपुर के महाराजा अभय सिंह की महारानी तंवर जी ने 1740 में बनवाया था राज परिवार की महिलाओ द्वारा सार्वजनिक जलाशय बनवाने की युगों पुरानी परम्परा को ध्यान में रखते हुए यह झालरा बनवाया गया था दशको से ठहरे पानी के अन्दर डूबे झालरे से हाल ही में पानी की निकासी व सफाई की गयी, यह झालरा 200 फुट गहरा है इसे जोधपुर के प्रसिद्ध गुलाबी पत्थर तरास कर बनाया गया है इसमें नृत्य मुद्रा में हाथियों की बारीक़ नक्काशी पानी के मध्यकालीन शेर एवं गौ मुख स्त्रोत नल है दीवारों पर अप्सराओ के आले है पानी उपर खीचने की मूल व्यवस्था फारसी पहिये से की गई है यह तुर जी का झालरा राजस्थान की शिल्प कला की जीती जागती मिसाल है बहुत से विदेशी सैलानी भी इसे देखने के लिए आते है यह बावड़ी गहरे पानी का एक जल स्त्रोत है इसे देखने के बाद आगे बढ़ते है मेहरानगढ़ की और.......

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