Mehrangarh fort jodhpur - मेहरानगढ़ दुर्ग जोधपुर

mehrangarh fort 


Mehrangarh Fort:- नमस्कार आपका स्वागत है यात्रा मेरे साथ में,तुर जी का झालरा देखने के बाद हम आगे बढते है मेहरानगढ़ दुर्ग की और मेहरानगढ़ दुर्ग का निर्माण राव जोधा ने करवाया था राव जोधा ने जोधपुर नगर की स्थापना की. मेहरानगढ़ का अर्थ होता है सूर्य का किला. मेहरानगढ़ दुर्ग जोधपुर नगर से ऊँचा एक पहाड़ी पर है तुर जी के झालरे से मेहरानगढ़ के लिए सीधा रास्ता जाता है गूगल मेप की सहायता से आप आसानी से पहुच सकते है कुछ दूर चलते ही भव्य किला दिखाई देने लगता है जो आपकी की उत्सुकता को और बढ़ा देता है ऊपर पहुचते ही सर्वप्रथम आपको टिकट ले लेना चाहिए. एक भारतीय के लिए प्रवेश शुल्क 120 रुपये है आप चाहे तो सशुल्क ऑडियो गाइड भी ले सकते है टिकट लेने के बाद मेहरानगढ़ में प्रवेश के लिए बड़ा सा प्रवेश द्वार है प्रवेश के बाद किले की सफील पर तोप गोलों ले निसान देख सकते है जयपुर के महाराजा जगत सिंह ने जोधपुर पर चढाई कर दी थी लेकिन शत्रु सेना मेहरानगढ़ का बाल भी बांका न कर सकी. इनके द्वारा दागे गए तोप गोलों के निसान देखे जा सकते है
तोप के गोलों के निसान 
कुछ आगे चलने के बाद वह पॉइंट आता है जहा से ब्लू सिटी का नजारा देखा जा सकता है
मेहरानगढ़ दुर्ग से लिया गया ब्लू सिटी का नजारा 
किले के मुख्य गेट पर राजस्थानी पोशाक में बैठे गायक कलाकारों की प्रस्तुति आपका मन मोह लेती है इनके मधुर संगीत की ध्वनि सुने बिना आगे बढ़ने का मन नहीं करता. यहा से आगे जाने के बाद आप मुख्य प्रांगण में प्रवेश करते है यह से आपको दुर्ग की सुन्दर नक्कासी का नजारा देखने को मिलता है किले में सबसे पहले पालकी खाना देखने को मिलता है पालकी खाना में अनेको प्रकार की राजशाही पलकिया है जिनका उपयोग राजपरिवार की महिलाओ के लिए होता था 

ये पालकिया लकड़ी या लोहे की बनी होती थी जिन पर सोने चांदी, हाथी दांत, बेशकीमती पत्थर आदि की सुन्दर नक्कासी की होती थी इन पालकियो को ढोने का काम करने वालो को मेहर कहा जाता था पालकी खाना देखने के बाद आगे बढ़ते है शस्त्र खाना की और शस्त्र खाना में जोधपुर राजपरिवार के बहुत से शस्त्र देखने को मिलते है 
महाराजा अजीतसिंह की दुधारी तलवार 
फोलादी फल, शिरा (फल के मध्य उभरी हुयी धारा) मुठ या हत्थे अंगूरों के बेल बूटे से मंडित है फल के मध्य भाग में हाथी का सिर अंकित है 19 वी शताब्दी बीजापुर की कटार 
कटार 
लोहे का ताला अनेक चाबियों के साथ संभवत यह ताला तिजोरी या संदूक को लगाया जाता था 
ताला अनेक चाबियों के साथ 
शीश महल :- शीश महल शाही राजपूत वास्तुकला की विशेषता है शीश महल का शाब्दिक अर्थ होता है शीशे का महल. यह महल कांच के अंदरूनी पेनलो और बहु-प्रतिबिम्बित छत्त के साथ सजाया गया है इसे रंगीन पन्नी और पेंट के साथ डिजाईन किया गया है जो की दीपक की रौशनी में झिलमिलाते है इस पर उस समय की कला और धर्म की संस्क्रति का प्रभाव देखा जा सकता है इस में कई पेनलो पर भगवान राम, शिव-पार्वती, ब्रम्हा, आदि देवी देवताओ को प्रदर्शित किया गया है यह कमरा महाराजा अजित सिंह जी का शयनकक्ष था जिन्होंने 1679 और 1724 के बिच जोधपुर पर शासन किया था 
शीश महल 
मेहरानगढ़ की सुन्दर कलाकृति और इसके वैभव इतिहास को नजदीक से निहारना मेरे लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है मेहरानगढ़ देखने के बाद आप पास ही में बना जसवंत थडा देखने जरुर जाये.

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तुर जी का झालरा, toorji's stepwell jodhpur

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