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प्राचीना म्यूजियम (Prachina museum) बीकानेर

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नमस्कार, आपका स्वागत है यात्रा मेरे साथ में, जूनागढ़ दुर्ग में ही बने प्राचीना म्यूजियम में बीकानेर राज परिवार की अनेक वस्तुओ को रखा गया है जूनागढ़ दुर्ग के टिकट काउंटर से ही प्राचीना म्यूजियम की टिकट ले सकते है आपसे मात्र 30 रुपये की राशी ली जाती है यह संग्रहालय रोज सुबह 9 से शाम 6 बजे तक खुला रहता है आप इस म्यूजियम में बीकानेर राज परिवार की परम्परा, शाही कमरा, बीकानेर का पश्चिमी आकर्षण, वैभव शाली वस्त्र दीर्घा, चित्र, नक्काशी, आवागमन के शाही संसाधन आदि का अवलोकन कर सकते है जानते है इस संग्राहलय की कुछ विशिष्ट रोचक जानकारी राजसी कक्ष:- यह कक्ष 19 की शताब्दी में बीकानेर के राजसी जीवन व्यव्हार में अपनाये गए परिवर्तनों को दर्शाता है सुप्रसिद्ध उस्ता चित्रकारी के फुल पत्तियों से सुसज्जित दीवारे उस समय राजमहलो में सजावट मे प्रचलन में रही. यूरोपीय चित्रकारी के पेंटिंग भी यह देखे जा सकते है  राजसी कक्ष  कक्ष की सजावट में यूरोपीय प्रभाव साम्य प्रदर्शित करती वस्तुए जेसे भवन इमारतो में मोडल चित्र विदेशी फूलदान, आरामदायक सोफे, घुमावदार कुर्सी टेबल आदि वस्तुए है बीकानेर जेल म

जूनागढ़ (चिंतामणि-Junagarh fort) दुर्ग, बीकानेर यात्रा

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जुनागढ़ दुर्ग बीकानेर  नमस्कार आपका स्वागत है यात्रा मेरे साथ में, यात्राओ के दोर में आपको ले चलते है बीकानेर, राव बीका द्वारा बसाई गई नगरी मरू भूमि राजस्थान में है बीकानेर की यात्रा में सबसे पहले ले चलते शहर के मध्य में बने जूनागढ़ दुर्ग जिसे चिंतामणि दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है जूनागढ़ दुर्ग के बारे में जानने से पहले जानते है बीकानेर शहर के इतिहास के बारे में. बीकानेर राज्य की स्थापना राव बीका द्वारा 1488 ई. में हुई. उन दिनों मरुस्थल का यह भू भाग जांगलदेश के नाम से जाना जाता था. राव बीका राठौडवंशी राव जोधा के पुत्र थे. राव जोधा ने जोधपुर नगर की स्थापना की थी. राव जोधा के प्रोत्साहित करने पर राव बीका ने जोधपुर से कूच किया उनके साथ मात्र 500 सैनिक व 100 घुड़सवार थे. राव बीका का सहयोग उनके बहादुर चाचा राव कांधा ने किया. उन दिनों इस इलाके में विभिन्न वंश आबाद थे राव बीका ने इनके सभी मुखियाओ को अपने अधीन कर लिया. और वे इस राज्य के शासक के रूप में मान्य हो गये. इस तरह इस राज्य की 1488 ई. में स्थापना हुयी जो 1947 तक कायम रही.  राव बीका की प्रतिमा, जुनागढ़ किला बीकानेर  राव बी

श्री माता वैष्णो देवी कटरा,(Mata Vaishno Devi) जम्मू यात्रा ब्लॉग-2

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नमस्कार, आपका स्वागत है यात्रा मेरे साथ में, श्री माता वैष्णो देवी कटरा का यह हमारा दुसरा ब्लॉग है कृपया पहले ब्लॉग-1 देखे, देखने के लिए क्लिक करे →  श्री माता वैष्णो देवी कटरा, जम्मू यात्रा ब्लॉग-1      माता के दर्शन करने के पश्चात हम ने बाबा भैरव नाथ मंदिर के दर्शन करना उचित समझा क्योकि कहा जाता है की बाबा भैरव के दर्शन के बगेर आपकी यात्रा अधूरी रहती है माता के भवन से भैरव मंदिर की दुरी लगभग 2 किमी है यहाँ से आप चाहे तो पैदल भी जा सकते है तथा रोपवे से भी जा सकते है रोपवे से यह दुरी 3 मिनट में ही पूरी कर ली जाती है प्रति व्यक्ति एक तरफ का किराया 100 रूपए है                       हम भवन से भैरव घाटी के लिए रात को लगभग 3:30 पर निकले थे रात के समय रोपवे की सेवा बंद रहती है इसलिए हमे पैदल ही जाना पड़ा. भवन से भैरव घाटी तक पालकी, खच्चर आदि की सेवाए भी ली जा सकती है यह 2 किमी की चढाई कुछ खड़ी है इसीलिए आपके जोश का पूरा इम्तिहान लिया जाता है भैरव मंदिर तक पहुचने में हमे लगभग 1 घंटा 30 मिनट लग गए. भैरव मंदिर का तापमान भी माता के भवन से कुछ कम ही रहता है भैरव मंदिर में इस समय ज्यादा भीड़ नहीं

श्री माता वैष्णो देवी कटरा,(Mata Vaishno Devi) जम्मू यात्रा ब्लॉग-1

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नमस्कार आपका स्वागत है यात्रा मेरे साथ में. यह यात्रा है माता वैष्णो देवी की जो स्थित है जम्मू कश्मीर राज्य में. यात्रा की शुरुआत होती है जयपुर ज. से.   हमने उदयपुर से जम्मू तवी तक चलने वाली गरीब रथ स्पेशल ट्रेन की टिकट लगभग 1 महीने पहले ही ले ली थी. 21 जून को हमारी टिकट थी हम जयपुर जंक्शन रात करीब 9 बजे पहुच गये. 10 बजे ट्रेन आने वाली थी. तो सोचा क्यों न घर से लाये खाने को एसी वेटिंग हॉल में बैठ कर निपटा लिया जाये. कुछ समय में खाना खा कर बैठे ही थे तभी अलाउंस हुआ की गरीब रथ स्पेशल ट्रेन प्लेटफॉर्म न. 2 पर   आने वाली है प्लेटफॉर्म पर पहुचने के कुछ समय बाद ही ट्रेन आ गई ट्रेन अपने नियत समय पर थी. रात के 10 बजे थे बेडरोल लेकर सो गये. सुबह करीब 7 बजे उठकर चेक किया तो पता चला की ट्रेन अपने निर्धारित समय पर ही चल रही है. सुबह लगभग 9:30 पर लुधियाना जंक्शन और 11 बजे जलंधर केंट आ गये तो पता चला ट्रेन में पैंट्री कार नहीं है तो फिर क्या हम तो मारवाड़ी है ना जी कुछ खाना तो घर से ही साथ लेकर चलते है जो रात को खाया था उसी में से एक समय का खाना और बच गया था. उसी समय निकाला और जीम गये. घर के

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