जूनागढ़ (चिंतामणि-Junagarh fort) दुर्ग, बीकानेर यात्रा


जुनागढ़ दुर्ग बीकानेर 


नमस्कार आपका स्वागत है यात्रा मेरे साथ में, यात्राओ के दोर में आपको ले चलते है बीकानेर, राव बीका द्वारा बसाई गई नगरी मरू भूमि राजस्थान में है बीकानेर की यात्रा में सबसे पहले ले चलते शहर के मध्य में बने जूनागढ़ दुर्ग जिसे चिंतामणि दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है जूनागढ़ दुर्ग के बारे में जानने से पहले जानते है बीकानेर शहर के इतिहास के बारे में. बीकानेर राज्य की स्थापना राव बीका द्वारा 1488 ई. में हुई. उन दिनों मरुस्थल का यह भू भाग जांगलदेश के नाम से जाना जाता था. राव बीका राठौडवंशी राव जोधा के पुत्र थे. राव जोधा ने जोधपुर नगर की स्थापना की थी. राव जोधा के प्रोत्साहित करने पर राव बीका ने जोधपुर से कूच किया उनके साथ मात्र 500 सैनिक व 100 घुड़सवार थे. राव बीका का सहयोग उनके बहादुर चाचा राव कांधा ने किया. उन दिनों इस इलाके में विभिन्न वंश आबाद थे राव बीका ने इनके सभी मुखियाओ को अपने अधीन कर लिया. और वे इस राज्य के शासक के रूप में मान्य हो गये. इस तरह इस राज्य की 1488 ई. में स्थापना हुयी जो 1947 तक कायम रही. 
राव बीका की प्रतिमा, जुनागढ़ किला बीकानेर 
राव बीका ने उस समय एक गढ़ी का निर्माण करवाया जो वर्तमान में लक्ष्मीनाथ जी मंदिर के पास स्थित है बीकानेर के छठे शासक राजा रायसिंह जी ने नया दुर्ग चिंतामणि (जूनागढ़) का निर्माण 1589-1593 ई. के मध्य करवाया. राजा रायसिंह जी ने 1571 ई. से 1612 ई. तक यहाँ शासन किया. जुनागढ दुर्ग की पाये की नीव 30 जनवरी 1589 को गुरुवार के दिन डाली गई. इस दुर्ग का निर्माण कार्य 17 जनवरी 1594 ई. गुरुवार को पूर्ण हुआ. जूनागढ़ भ्रमण करने के लिए आपसे मात्र 50 रूपये की छोटी सी फ़ीस ली जाती है इसी के साथ आपके ग्रुप को एक गाइड भी मिलता है जो इसी फ़ीस में सम्मिलित है.
जूनागढ़ फोर्ट गेट पर लिखा महाराजा करणी सिंह जी का सन्देश 
 जूनागढ़ भ्रमण के पुराने राजमहलो के जो अलग अलग अंग है वो इस प्रकार है सर्वप्रथम प्रवेश द्वार में हर मंदिर है फिर आते है मीना ड्योडी, करण महल व इसका प्रांगण, अनूप महल का प्रांगण, फुल महल की साल, चंदर महल, रायनिवास कचहरी, बादल महल, चतर निवास, गंगा निवास महल व दरबार हॉल आदि, जूनागढ़ फोर्ट भ्रमण की शुरुआत टिकट काउंटर से होती है टिकट लेने के बाद एक गाइड आपको लेकर चलता है 
जूनागढ़ फोर्ट में बना सुन्दर जलाशय 
यहा से आगे बढने पर आपको करण महल में ले जाया जाता है जिसमे सुन्दर कलाकृति से बनी छत देखने लायक है


जूनागढ़ दुर्ग में बहुत से अस्त्र सस्त्र भी पर्यटकों के देखने के लिए रखे गये है


चन्दन की लकड़ी से बना भगवन श्री कृष्ण का झुला

जूनागढ़ दुर्ग के ऊपर से पुरे बीकानेर शहर को देखा जा सकता है पुरे जुनागढ़ दुर्ग को देखने में लगभग 1 घंटे का समय लगता है जो सुबह 10 से शाम 5 बजे तक खुला रहता है जूनागढ़ दुर्ग की बहुत सी तस्वीरों के साथ बनी स्लाइड शो को देखन ना भूले↓


 
बीकानेर शहर सड़क, रेल, वायु मार्ग से पंहुचा जा सकता है सडक मार्ग से जयपुर से बीकानेर 354 किमी है व जोधपुर से बीकानेर 242 किमी है रेल मार्ग भी देश के अनेक हिस्सों से जुड़ा हुआ है बीकानेर एयरपोर्ट जो नाल में स्थित है की बीकानेर शहर की दुरी 15 किमी है. बीकानेर एक बहुत ही सुन्दर शहर है जिसमे आप कभी भी घुमने आ सकते है पर सर्दियों में होने वाला कैमल फेस्टिवल देखने देश विदेश से सैलानी आते है आप का भी बीकानेर शहर देखने का मन हो तो उसी समय आये जब कैमल फेस्टिवल हो, तब आप की यात्रा में चार चाँद लग जायेंगे. गर्मियो में बीकानेर का तापमान अधिक रहता है जो शायद आपको असहज कर सकता है जूनागढ़ फोर्ट के साथ साथ आप बीकानेर शहर में लालगढ़ पैलेस व म्यूजियम, गजनेर वाइल्डलाइफ सेंचुरी, लक्ष्मीनाथ टेम्पल, जैन टेम्पल, करणी माता मंदिर देशनोक, व प्राचीना म्यूजियम (जो जूनागढ़ फोर्ट में ही है) आदि को देख सकते है इनके साथ साथ आप कैमल सफारी का आनद भी ले सकते है


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