जलियाँवाला बाग, (Jallianwala Bagh)
नमस्कार आपका स्वागत है यात्रा मेरे साथ में यह ब्लॉग हमारी अमृतसर यात्रा के दोरान जलियांवाला बाग का है हम स्वर्ण मंदिर में प्रसाद पाने के बाद जलियांवाला बाग की और आ गये. यह बाग़ स्वर्ण मंदिर के निकट ही है. आप स्वर्ण मंदिर का ब्लॉग श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) ब्लॉग को भी देख सकते है. पहले बात करते है जलियांवाला बाग धटना की इतिहास के बारे में. 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी का दिन था. पंजाब के अमृतसर में सेकड़ो सालो से बैसाखी के दिन मेला भरता था उस दिन भी हजारो लोग दूर-दूर से मेला देखने आये थे. रोलेट एक्ट के विरोध में इस जगह एक सभा रखी गई थी जिस में कुछ नेता भाषण देने वाले थे. जो लोग बैसाखी का मेला देखने आये थे वो भी खबर सुन कर वहा चले गए. शांतिप्रिय तरीके से सभा चल रही थी. नेता अपना भाषण दे रहे थे. तभी ब्रिगेडियर जनरल रेजिनोल्ड डायर 90 अंग्रेज सैनिको के साथ वहा पहुच गया. सभी सैनिको के हाथ में रायफले थी. भाषण दे रहे नेताओ ने वहा मौजूद लोगो से शांत बैठे रहने के लिए कहा क्योकि इस सभा का उद्देश्य दंगा फैलाना नहीं था. सैनिको ने वहा मौजूद लोगो को बिना कोई सूच...